मुख्य कलाकार : अमिताभ बच्चन, जूही चावला, शाहरुख खान, अमन सिद्दिकी, सतीश शाह, राजपाल यादव
निर्देशक : विवेक शर्मा
तकनीकी टीम : निर्माता-रवि चोपड़ा, लेखक-विवेक शर्मा, संगीत-विशाल-शेखर, गीत-जावेद अख्तर
बीआर फिल्म्स की भूतनाथ डरावनी फिल्म नहीं है। फिल्म का मुख्य किरदार भूत है, लेकिन उसे अमिताभ बच्चन निभा रहे हैं। अगर निर्देशक अमिताभ बच्चन को भूत बना रहे हैं तो आप कल्पना कर सकते हैं कि वह भूत कैसा होगा? भूतनाथ का भूत नाचता और गाता है। वह बच्चे के साथ खेलता है और उससे डर भी जाता है। इस फिल्म का भूत केवल निर्दोष बच्चे की आंखों से दिखता है।
निर्देशक विवेक शर्मा ने एक बच्चे के माध्यम से भूत के भूतकाल में झांक कर एक मार्मिक कहानी निकाली है, जिसमें रवि चोपड़ा की फिल्म बागवान की छौंक है। बंटू के पिता पानी वाले जहाज के इंजीनियर हैं, इसलिए उन्हें लंबे समय तक घर से दूर रहना पड़ता है। वे अपने बेटे और बीवी के लिए गोवा में मकान लेते हैं। उस मकान के बारे में मशहूर है कि वहां कोई भूत रहता है। मां अपने बेटे बंकू को समझाती है कि भूत जैसी कोई चीज नहीं होती। वास्तव में एंजल (फरिश्ते) होते हैं। फिल्म में जब भूत से बंकू का सामना होता है तो वह उसे फरिश्ता ही समझता है। वह उससे डरता भी नहीं है। भूत और बंटू की दोस्ती हो जाती है और फिर बंकू की मासूमियत भूत को बदल देती है। इस सामान्य सी कहानी में बागवान का इमोशन डाला जाता है, जहां संतान मां-बाप के प्रति लापरवाह दिखाए जाते हैं। दर्शकों के बीच हय इमोशन प्रभावी सिद्ध होता है। भूतनाथ में आखिरकार श्राद्ध संपन्न किया जाता है और भूत को मुक्ति मिल जाती है।
विवेक शर्मा ने भूत और बच्चे की दोस्ती की इमोशनल कहानी अच्छे तरीके से चित्रित की है। हालांकि भूत की धारणा ही अवैज्ञानिक है। लेकिन फिल्मों और किस्सों में ऐसी कहानियों से मनोरंजन होता है। विवेक शर्मा का भूत चमत्कार नहीं करता और न ही बंकू से दोस्ती हो जाने पर उसे अव्वल स्थिति में ला देता है। बंकू एक बार कुछ करने के लिए कहता है तो भूत का जवाब होता है। जिंदगी में मैजिक नहीं होता, मेहनत होती है। मेहनत और क्षमा का संदेश देती यह फिल्म बुजुर्गो की कद्र और देखभाल की भी वकालत करती है।
फिल्म में भूतनाथ और बंकू के किरदारों में अमिताभ बच्चन और अमन सिद्दिकी ने उपयुक्त लगते हैं। दोनों की दोस्ती के भावुक क्षण और दृश्य रोचक हैं। शाहरुख खान अतिथि भूमिका में हैं, इसलिए औपचारिक तरीके से काम कर निकल गए हैं। जूही चावला निराश नहीं करतीं। राजपाल यादव और प्रियांशु चटर्जी के किरदारों का निर्वाह नहीं हो पाया है। लगता है कि दोनों के दृश्य कटे हैं या फिर उनके किरदारों को विकसित नहीं किया गया है।
फिल्म के अंत में बताया गया है कि इसका सिक्वल आ सकता है। यह देखना रोचक होगा कि विवेक शर्मा अगली फिल्म की कहानी किस दिशा में मोड़ते हैं।
Monday, November 17, 2008
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5 comments:
Bhootnath ek manoranjak film hai!...aapane sunder samiksha pesh ki hai!....padhh kar maja aaya!
ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
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आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
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अमित के. सागर
वाकई संदेशप्रद फ़िल्म थी भूतनाथ. स्वागत आपका मेरे ब्लॉग पर भी.
इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका हिन्दी चिटठा जगत में स्वागत है। आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को मजबूत बनाएंगे। हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
film dikhane ke liye shukriya
narayan narayan
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